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किम॑स्य॒ मदे॒ किम्व॑स्य पी॒ताविन्द्रः॒ किम॑स्य स॒ख्ये च॑कार। रणा॑ वा॒ ये नि॒षदि॒ किं ते अ॑स्य पु॒रा वि॑विद्रे॒ किमु॒ नूत॑नासः ॥१॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

kim asya made kim v asya pītāv indraḥ kim asya sakhye cakāra | raṇā vā ye niṣadi kiṁ te asya purā vividre kim u nūtanāsaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

किम्। अ॒स्य॒। मदे॑। किम्। ऊँ॒ इति॑। अ॒स्य॒। पी॒तौ। इन्द्रः॑। किम्। अ॒स्य॒। स॒ख्ये। च॒का॒र॒। रणाः॑। वा॒। ये। नि॒ऽसदि॑। किम्। ते। अ॒स्य॒। पु॒रा। वि॒वि॒द्रे॒। किम्। ऊँ॒ इति॑। नूत॑नासः ॥१॥

ऋग्वेद » मण्डल:6» सूक्त:27» मन्त्र:1 | अष्टक:4» अध्याय:6» वर्ग:23» मन्त्र:1 | मण्डल:6» अनुवाक:3» मन्त्र:1


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब आठ ऋचावाले सत्ताईसवें सूक्त का प्रारम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में प्रश्नों को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे वैद्यराज ! (इन्द्रः) दुःख के नाश करनेवाले ने (अस्य) इसके (मदे) आनन्द में (किम्) क्या (चकार) किया (अस्य) इसके (पीतौ) पान करने में (किम्) क्या (उ) ही किया (अस्य) इसके (सख्ये) मित्रपने में क्या किया और (ये) जो (वा) वा (निषदि) बैठते हैं जिसमें उस गृह में (रणाः) रमते हुए (अस्य) इसके (पुरा) सम्मुख (किम्) क्या (विविद्रे) जानते हैं और (किम्) क्या (उ) और (नूतनासः) नवीन जन जानते हैं (ते) वे (किम्) क्या अनुष्ठान करते हैं ॥१॥
भावार्थभाषाः - इस मन्त्र में सोमलताआदि के रस के पानविषयक प्रश्न हैं, उनके उत्तर अगले मन्त्र में जानने चाहिये ॥१॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथात्र प्रश्नानाह ॥

अन्वय:

हे वैद्यराजेन्द्रोऽस्य मदे किं चकार। अस्य पीतौ किमु चकारास्य सख्ये किं चकार ये वा निषदि रणा अस्य पुरा किं विविद्रे किमु नूतनासो विविद्रे ते किमनुतिष्ठन्ति ॥१॥

पदार्थान्वयभाषाः - (किम्) (अस्य) (मदे) आनन्दे (किम्) (उ) (अस्य) (पीतौ) (इन्द्रः) दुःखविदारकः (किम्) (अस्य) (सख्ये) मित्रत्वे (चकार) (रणाः) रममाणाः (वा) (ये) (निषदि) (किम्) (ते) (अस्य) (पुरा) (विविद्रे) विदन्ति (किम्) (उ) (नूतनासः) ॥१॥
भावार्थभाषाः - अत्र सोमलतादिरसपानविषयाः प्रश्नाः सन्ति तेषामुत्तराण्युत्तरस्मिन् मन्त्रे ज्ञेयानि ॥१॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)

या सूक्तात इंद्र, ईश्वर, राजा व प्रजेच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

भावार्थभाषाः - या मंत्रात सोमलता इत्यादी रसपानाविषयी प्रश्न आहेत, त्यांची उत्तरे पुढील मंत्रातून जाणावी. ॥ १ ॥